हे गणेशा प्यारे
हे गणेशा प्यारे!
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हे प्रथम पूज्य गौरी गणेश
तुम तो हमको हो अति प्यारे,
हम अज्ञानी नादान सही
पर तुम्हें पूजते हैं प्यारे,
आता नहीं हमें तो कुछ
पूजा पाठ का विधि विधान,
कर सकते हैं जितना हम
उतना तो हम रखते हैं ध्यान।
अब जैसा भी कर सकता हूँ
उतना तो मैं करता ही हूँ,
तुम्हें पता सब अवगुण मेरा
हे गणपति बात समझता हूँ,
और मैं क्या कर सकता हूँ,
ये तो तुम ही बतला सकते,
इंतजार के सिवा और हम
प्रभुजी! हम क्या कर सकते?
जो भी है जैसा भी है
आपसे तो कुछ छिपा नहीं है,
तब मेरा कुछ कहना व्यर्थ ही है।
मैं तो इतना ही विनय करुँगा
बस तनिक आपका ध्यान संग
कृपा दया करुणा का उपहार मिले,
हे मेरे गणेशा प्यारे, हरो सब विघ्न हमारे
मेरे संग संग ही हो जाये
धरती के हर प्राणी के भी वारे न्यारे,
रिद्धि सिद्धि संग मूषक चढ़ अब आप पधारें
हम लगा रहे सदा आपके जयकारे।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक, स्वरचित