हे क्रान्तिज्योति है तुम्हें नमन…
माता सावित्रीबाई फुले को समर्पित मेरी कविता…
क्रान्ति ज्योति है तुम्हें नमन, शिक्षा ज्योति है तुम्हें नमन ।
नारी हित शिक्षा लागू करने,
किए आपने अनुपम कार्य ।
उस समय व्यवस्था मनुवादी,
खोया न कभी सयंम – धैर्य ।
थी अटल आपकी वो क्रांति,
उसे दिया भरोसा फुले ने ।
देने को अजादी महिला को,
माता उस कठिन प्रतिज्ञा को नमन ।
हे क्रान्ति ज्योति है तुम्हें नमन…….
हे शिक्षा ज्योति है तुम्हें नमन ….
सर्व-समाज समाज की नारी को,
न कभी ये शिक्षा मिल पाती ।
सी एम और पी एम की औकात तो क्या,
ये कभी क्लर्क भी ना बन पाती ।
है नए रूप में अब नारी,
चाहे हो विधायक या अधिकारी ।
फिर भी न जाने त्याग तेरा,
उस त्याग को तेरे शत-शत वंदन ….
हे क्रान्ति ज्योति है तुम्हें नमन……
हे शिक्षा ज्योति है तुम्हें नमन……
दिन–रात पूजती भ्रम-माया को,
जिनका न कोई अस्तित्व यहाँ ।
घर में जो बैठी माँ बूढ़ी इनकी,
उनका न करें सत्कार क़भी ।
“आघात” की आँखों के ये अश्रू ,
माँ को श्रधांजलि अर्पित करते हैं ।
है आज जन्मदिन उस माता का,
उसे शिक्षा की ज्योति बुलाते हैं ।
हे क्रान्ति ज्योति है तुम्हें नमन………
हे शिक्षा ज्योति है तुम्हें नमन ।
आर एस बौद्ध “आघात”
8475001921