हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
जो मौन हो कर देखता
जिसने देखा तुम्हारा बाल्यपन
ओर युवा अवस्था
तुम्हारे विचलन और
मौन को देखता
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
जो मौन हो कर देखता
समय के साथ तुम्हारे भी
जिसने समय की यात्रा की
ओर रहा जो सदैव
तुम्हारे ही अन्तर्मन में
जो जानता था
सही ओर गलत में भेद