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30 Jan 2024 · 1 min read

हे कौन वहां अन्तश्चेतना में

हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
जो मौन हो कर देखता
जिसने देखा तुम्हारा बाल्यपन
ओर युवा अवस्था
तुम्हारे विचलन और
मौन को देखता
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
जो मौन हो कर देखता
समय के साथ तुम्हारे भी
जिसने समय की यात्रा की
ओर रहा जो सदैव
तुम्हारे ही अन्तर्मन में
जो जानता था
सही ओर गलत में भेद

1 Like · 124 Views
Books from सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
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