हे, कृष्ण
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हे कृष्ण,तुम्हारे ग्रन्थों ने तुझे चाणक्य बना दिया।
जीवन में आदमी से ईश्वर का मानक बना दिया।
गौ-चरवाहे से चतुर्भुज विष्णु का अवतार बनकर।
मानव-धर्म को धरती पर तूने कञ्चन बना दिया।
कर्म के पथ का पाठ स्पष्टता से बाँचा है आपने।
लेकिन,लोभ,लिप्सा ने है इसे कथानक बना दिया।
युद्ध को निस्सारता से आवश्यकता बना के माधव,
कायरों को भी योद्धा महान, है अचानक बना दिया।
कैसी घृणा भरी थी तेरे मन में बताओ तो हे कृष्ण,
छोटे से एक गृह-युद्ध को क्यों? भयानक बना दिया।
चलने का नाम चक्र है प्रगति का प्रतीक है ।
खुद को महान रखने को विनाशक बना दिया।
शैशव तुम्हारा अब भी हर बचपन है चाहता।
प्रौढ़ता को छल का क्यों था आनन बना दिया!
मरने के लिए ही जन्मे थे तुम,कंस के हाथों।
पर,भाग्य ने तुम्हें,जीवन का चानन बना दिया। (चंदन)
राधा ने सहा दु:ख,विरह जो,बाकी अभी भी है।
मैया का कर्ज,फर्ज था,तूने जामन बना दिया। (खट्टा-दही जमाने।)
तुमको जिये ये दुनिया या तेरी तरह मरे।
जीवन,मृत्यु दोनों अति भावन बना दिया।
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