हे कृष्ण!
हे कृष्ण!
सृष्टि के तुम शिल्पकार
तुझमें लय है सारा संसार
जीवन तुझसे,तू ही संहार
शांतिदूत तू ,तू ही हुंकार
तू ही कण,तू ब्रह्माण्ड अपार
धरती भी तू ,तू व्योम विस्तार
तू आदि-अंत,तू गीता का सार
मृदु मुरली तू ,तू गांडीव टंकार
तू प्रलय ज्वार, तू ही तारणहार
मनुष्य भी तू ,तू विष्णु अवतार
तेरे हाथों मेरी जीवन पतवार
ले चल कान्हा भवसागर पार
रेखा