हे कृष्ण! फिर से धरा पर अवतार करो।
Happy janmashtami
???????
हे! आनंद कंद, देवकी नंद,
दुखियों का उद्धार करो ।
जग को बचाने, कष्ट मिटाने,
हे कृष्ण!
फिर से धरा पर अवतार करो।
मानव ही नहीं प्रकृति भी तड़प रहे,
दुख से पीड़ित हो प्राणी बिलख रहे,
कितने कुब्जा की आँखें तरस रहे,
करुणा औषधि की बरसात करो
हे प्रभु! फिर से सुखी संसार करो
फिर गीता की अमृत दान करो,
जग को बचाने, कष्ट मिटाने,
हे कृष्ण!
फिर से धरा पर अवतार करो ।
हे! आनंद कंद, देवकी नंद,
दुखियों का उद्धार करो ।
जग को बचाने, कष्ट मिटाने,
हे कृष्ण!
फिर से धरा पर अवतार करो ।
पल – पल द्रोपदी पुकार रही,
पग – पग दुशासन की है साहस बढ़ी,
हे! निर्दोष के सखा सहारे,
अब ना ज्यादा देर करो,
कलयुगी कंस, दुशासन का
अब आकर के संहार करो,
हे प्रभु! दुष्टों का नाश करो,
फिर से कर में चक्र धरो।
जग को बचाने, कष्ट मिटाने,
हे कृष्ण!
फिर से धरा पर अवतार करो ।
हे आनंद कंद, देवकी नंद,
दुखियों का उद्धार करो ।
जग को बचाने, कष्ट मिटाने,
हे कृष्ण!
फिर से धरा पर अवतार करो ।
लाखों सुदामा, ओ मेरे कृष्णा!
आज भी जग में भटक रहे,
उसके आँसू पोंछ दो आकर,
दुख से पीड़ित सब बिलख रहे,
शरणागत की आस की झोली
सुख वैभव से भरपूर करो ।
दुखिया के दुख अब दूर करो ।
फिर से प्रभु! शंख नाद करो ।
जग को बचाने, कष्ट मिटाने,
हे कृष्ण!
फिर से धरा पर अवतार करो ।
हे आनंद कंद, देवकी नंद,
दुखियों का उद्धार करो ।
जग को बचाने, कष्ट मिटाने,
हे कृष्ण!
फिर से धरा पर अवतार करो ।
घोर अज्ञान है चारों ओर,
प्रभु ज्ञान का प्रकाश भरो,
ईर्ष्या, द्वेष, मद, लोभ, प्रपंच
का नाग फुफकार रहे,
जाने कितने शकुनी, धृतराष्ट्र
घर – घर अपनी चाल चल रहे,
कलयुगी कालिया, धृतराष्ट्र, शकुनी का
हे नाथ! गर्व अब चूर करो,
हर दिल में प्रेम के गीत भरो,
फिर से वंशी मुख अधर धरो,
जग को बचाने, कष्ट मिटाने,
हे कृष्ण!
फिर से धरा पर अवतार करो ।
आनंद कंद, देवकी नंद,
दुखियों का उद्धार करो ।
जग को बचाने, कष्ट मिटाने,
हे कृष्ण!
फिर से धरा पर अवतार करो ।
— लक्ष्मी सिंह
गीता में लिखा है —
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।
अर्थात् जब भी जहाँ भी धर्म का पतन होता है और अधर्म की प्रधानता होने लगती है, तब – तब मैं अवतार लेता हूँ ।
अतः हे कृष्ण! अब इस कलयुग में आप का अवतार लेना आवश्यक हो गया है, आप से विनती है कि हे कृष्ण! फिर से आकर धरती पर इन कलयुगी राक्षसों और दानवों का अंत करे ।
जय श्री कृष्णा
राधे-राधे
लक्ष्मी सिंह