हे कवि कोई गीत लिख दो
हे कवि कोई गीत लिख दो
आतंक कैसे जाएगा, इस बात की तजवीज लिख दो
हे कवि कोई गीत लिख दो
गिलगित का हाले वंया, बाल्टिस्तान का दर्द लिख दो
आंसुओं में डूबते, अक्साई चिन का हाल लिख दो
पीओके में हो रहा अन्याय का, वह हाल लिख दो
मर रहे निर्दोष जग में, मर्द बच्चे औरतें
लाज अब कब तक लूटेगी, दुनिया अब कब तक सहेगी
कलम को खंजर बनाकर, हे कवि एक बार लिख दो
हे कवि कोई गीत लिख दो
मेहनत कसों की भूख लिख दो,
आपसी की फूट लिख दो
सुबह का कुछ हाल लिख दो, सांझ का संताप लिख दो
मिट सके आतंक ऐसा, प्रेम का एक गान लिख दो
हो सके तो इस धरा पर, एक नया बलिदान लिख दो
हे कवि कोई गीत लिख दो