हे कलम तुम कवि के मन का विचार लिखो।
मां की कोमल ममता लिखो
या पिता का प्यार लिखो
हे कलम तुम —–
प्रेम का पूरा संसार लिखो ।
बच्चे की किलकारी लिखो
या प्रेमिका का श्रृंगार लिखो ।
हे कलम तुम ——–
कवि के मन का विचार लिखो ।
युवाओं का संघर्ष लिखो
या अनुभवों की बौछार लिखो ।
हे कलम तुम——
पूरे जीवन का सार लिखो।
महापुरुषों का दान लिखो
या रोज का व्यापार लिखो।
हे कलम तुम——
सबसे सबका सरोकार लिखो।
गरीबी का बढ़ता भार लिखो
या घर में फैला अंधियार लिखो
हे कलम तुम——
प्रार्थना रुपी पुकार लिखो ।
अज्ञानता का फैला जाल लिखो
या अनैतिकता का अहंकार लिखो ।
हे कलम तुम——
मानवता पर उठा हर वार लिखो।
लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’
खरियार रोड,ओड़िशा