*हे अष्टभुजधारी तुम्हें, मॉं बार-बार प्रणाम है (मुक्तक)*
हे अष्टभुजधारी तुम्हें, मॉं बार-बार प्रणाम है (मुक्तक)
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ऊॅंचे पहाड़ों पर तुम्हारा, मॉं सदा शुभ धाम है
दुर्गा उमा कात्यायनी, काली तुम्हारा नाम है
तुम सिंह को वश में किए, उस पर सवारी कर रहीं
हे अष्टभुजधारी तुम्हें, मॉं बार-बार प्रणाम है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451