हेमा दास की तरह
लड़की भागे पर भागे,हेमा दास की तरह।
जग में परचम लहराए,चंदा ख़ास की तरह।।
ऊँची करती माँ-बापू,अपने देश की नज़र।
तूफ़ानों-सी दौड़े है,जाए गोल्ड की डगर।
छाए सबकी आँखों में,शुभ अहसास की तरह।
जग में परचम लहराए,चंदा ख़ास की तरह।।
मन प्यारा दिल भी प्यारा,प्रेरित सोच भी नवल।
ख़ुशियाँ बाँटे पीड़ित को,मानो झील का कमल।
हर बेटी हेमा बनके,महके साँस की तरह।
जग में परचम लहराए,चंदा ख़ास की तरह।।
हेमा तो है इक दर्पण,घर सब आज लाइए।
घर की बेटी देखेगी,शोभा लाज फिर पाइए।
खिल जाएगा घर-आँगन,रुत मधुमास की तरह।
जग में परचम लहराए,चंदा ख़ास की तरह।।
–आर.एस.प्रीतम
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