हृदय पुकारे आ रे आ रे , रो रो बुलाती मेघ मल्हारें
हृदय पुकारे आ रे आ रे , रो रो बुलाती मेघ मल्हारें
गये पिय कौन विदिशवा, रोवत नैना दिन-रैना रे ..
न जाने का भूल भई है , पवन सुहानी वैरन भई है
का कोई मेरी सौतन भई है, आंचल पुकारे आ अब आ रे
सुनत सजन मेघा भी गायें, विरहा मेरी का तोहे सुनाएँ
छलनी जियरा हूँक उठाये , पीहू पीहू मेरा उर ही पुकारे
ओ हरजाई मेरी याद न आई, काहे तूने मेरी नींदे उड़ाई
आजा साजनवा सेज सजाई..ले जा दे संदेशा कागा कारे
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