हृदय के विचार
हृदय के विचार।
आज मेरी सीमाओं का
बांध सा टूटा जाता है।
उफन-उफन कर यूं समुद्र
लहरों में बिखर जाता है।
इसके साथ में आने वाले
लाखों शंख अगिनत सीपी
धूमिल होकर आंखों आगे
अंधेरा-सा छा जाता है।
उफन-उफन कर यूं समुद्र
लहरों में बिखर जाता है।
नीले आसमान की भांति
मन नदी में बढ कर पानी
किनारों के ऊपर चढ़ जाए
किनारा पक्का टूट जाता है।
उफन-उफन कर यूं समुद्र
लहरों में बिखर जाता है।
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