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10 Jun 2020 · 1 min read

हुस्न वालों को ना जाने क्या बहाना आता है.

हुस्न वालों को ना जाने क्या बहाना आता है.
नादान आशिक को दिवाना बनाना आता है.

रीत तो यही है यहां प्यार मोहब्बत की.
जलती है जब शमा तो परवाना आता है.

सोचते हैं मेहबूब की जुल्फों की ठंडी छाँव.
मोहब्बत में एक ऐसा भी जमाना आता है.

बिन पिये मस्त हो जाते हैं फिर आशिक.
सामने जब आंखों का मयख़ाना आता है.

टूट गया है दिल तो कैसा रोना धोना दीप.
बेइन्तहा प्यार में इतना तो जुर्माना आता है.
✍️✍️…दीप

3 Likes · 2 Comments · 512 Views

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