तेरे हुसन का जादू(गज़ल)
तेरे हुसन का जादू/मंदीप
तेरा हुसन का जादू मुझ में समाता जाये,
जहाँ जहाँ मै जाऊ हर जगह मुझे तू ही नजर आये।
रूप बेमिसाल जैसे हो शायर का ख्वाब,
देखे ले जो एक बार फिर कुछ नजर ना आये।
चाल तेरी जैसे लरजती टहनी,
हवा का जोका तूझे छूना चाहे।
आँखे ऐसी जैसे चन्द्रमा की सुनहरी किरणे,
देख तेरे रूप का योवन मन शितल हो जाये।
कमर पर लम्बे केश जैसे हो अमर बेल,
देख तेरे हुसन को ये समा बंद जाये।
“मंदीप” रहना बच कर उस रूप की रानी से,
उस की आँखो के तीर तुम पर न चल जाय।
मंदीपसाई