Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2017 · 4 min read

आज़ादी की जंग में कूदी नारीशक्ति

अंग्रेजी शासन से मुक्त होने के लिए, दासता की बेडि़यों को तोड़ने में केवल राष्ट्रभक्त क्रान्तिवीरों ने ही अपने प्राणों की आहुति नहीं दी, बल्कि गुलाम भारत में ऐसी अनेक वीरांगनाएं भी जन्मीं, जिनके मन को क्रान्ति की ज्वाला ने तप्त किया। जरूरत पड़ने पर सौन्दर्य की देवी नारियों ने भी रणचण्डी का रूप धारण किया। अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने, उन्हें लोहे के चने चबवाने में विशेषकर दो वीरांगनाओं रानी लक्ष्मीबाई और बेगम हजरत महल के नाम से तो सब परिचित हैं | लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि अंग्रेज अफसरों के यहां काम करने वाली लाजो के द्वारा ही मंगल पांडे तक चर्बी के कारतूसों की जानकारी पहुंची थी। मुगल सम्राट बहादुर शाह की बेगम जीनतमहल ने दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ने के लिये अनेक योद्धाओं को संगठित किया था। चिनहट की लड़ाई में शहीद हुए पति का प्रतिशोध लेने वाली वीरांगना ऊदा देवी ने पीपल के पेड़ की घनी शाखों में छुपकर अपने तीरों से 32 अंग्रेज सैनिकों को मार गिराया और बाद में वीरगति को प्राप्त हुई।
तुलसीपुर रियासत की रानी राजेश्वरी ने होम ग्राण्ट के सैनिक दस्ते को जमकर टक्कर दी। अवध की बेगम आलिया ने अपनी लड़ाकू महिला फौज के साथ एक नहीं कई बार ब्रिटिश सैनिकों को अवध से बाहर खदेड़ा। ठकुराइन सन्नाथ कोइर और मनियापुर की सोगरा बीबी ने विद्रोही नेता नाजिम और मेंहदी हसन को जांबाज सैनिक, तोपें और धन देकर क्रान्तिकारियों की सहायता और हौसला अफजाई की।
झांसी की रानी के ‘दुर्गा-दल’ की कुशल नेतृत्व देने वाली झलकारी बाई झांसी के किले से अदम्य साहस के साथ लड़ी। मध्य प्रदेश के रामगढ़ की रानी अवन्तीबाई ने अंग्रेजों से जमकर युद्ध किया और घिरने पर स्वयं को खत्म कर लिया।
मध्य प्रदेश के जैतपुर और तेजपुर की रानियों ने दतिया के क्रान्तिकारियों के साथ अंग्रेजी फौज पर हमला किया।
मुजफ्रफरपुर की महावीरी देवी ने 22 महिलाओं के साथ अंग्रेजों को टक्कर दी। अनूपशहर की चैहान रानी ने घोड़े पर सवार हो, तलवार लेकर अनेक ब्रिटिश सैनिकों को मौत के घाट उतारते हुए यूनियन जैक को उतारकर थाने पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया।
स्वामी श्रद्धानंद की पुत्री वेदकुमारी, आज्ञावती और सत्यवती के स्वाधीनता संघर्ष को भी भुलाया नहीं जा सकता है। कोल आन्दोलन, टाना आन्दोलन में आदिवासी जनजातियों की महिलाओं ने फरसा-बलुआ से अंग्रेजों के सर कलम किये।
चटगांव विद्रोह की क्रान्तिकारी महिला प्रीतिलता वाडेयर ने एक यूरोपीय क्लब पर हमला किया और गिरफ्रतार होने के डर से आत्महत्या कर ली। 1931 में स्कूल की दो छात्रा शांति घोष और सुनीता चौधरी ने जिला कलेक्टर को गोली मार दी। बीना दास ने कलकत्ता विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह में गवर्नर को गोली मारकर ‘हिन्दुस्तान आजाद होकर रहेगा’, यह संदेश पूरे देश को दिया | बंगाल की ही सुहासिनी अली और रेणुसेन की क्रान्तिकारी गतिविधियों को देखकर अंग्रेज मन ही मन भयभीत हुए।
दुर्गाभाभी के नाम से प्रसिद्ध वीरांगना ने हर प्रकार क्रान्तिकारियों का सहयोग तो किया ही, बम्बई के गवर्नर हेली को मारने के लिये गोली भी चलायी, जिसमें हेली के स्थान पर टेलर नामक एक अंग्रेज अफसर घायल हो गया। क्रान्तिकारी आन्दोलन में सुशीला देवी की भूमिका भी इसलिए अविस्मरणीय है क्योंकि इन्होंने काकोरी कांड के कैद क्रान्तिकारियों के मुकदमे की पैरवी के लिए 10 तोला सोना तो दिया ही, ‘मेवाड़पति’ नामक नाटक खेलकर क्रान्तिकारियों की सहायतार्थ धन इकट्ठा किया। तिलक के गरमदल में शामिल वीरांगना हसरत मोहनी की त्याग गाथा को भी कैसे भुलाया जा सकता है जिन्होंने आजादी की खातिर जेल में चक्की पीसी।
सुभाष चन्द्रबोस की आजाद हिन्द फौज की रजीमेंट की कमाण्डिग ऑफीसर कैप्टन लक्ष्मी सहगल की आजादी की लड़ाई जितनी गौरवशाली है, भारतीय मूल की फ्रांसीसी नागरिक मैडम भीकाजी कामा को भी कैसे भुलाया जा सकता है जिन्होंने ब्रिटिश शासन को मानवता पर कलंक बताते हुए अन्तर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस कान्फ्रेंस में भारतीय ध्वज फहराया। कलकत्ता विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह में वायसराय लार्ड कर्जन के अपमानजनक शब्दों का खुले मुखर होकर प्रतिकार करने वाली भगिनी निवेदिता की निर्भीकता भी वन्दनयोग्य है।
इन वीरांगनाओं के अतिरिक्त भी ऐसी अनेक वीरांगनाएं इस माटी ने पैदा की हैं जिनमें अदम्य साहस, अनन्य राष्ट्रप्रेम हिलोरें मारता था। वीरांगनाओं के इस गौरवमय योगदान और बलिदान की गाथा में कई ऐसी वीरांगानाओं का नाम भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है जो पेशे से वैश्याएं अवश्य थीं लेकिन जब देश पर मर-मिटने का समय आया तो वे भी किसी से पीछे नहीं रहीं। लखनऊ की तवायफ हैदरीबाई ऐसी ही एक वीरांगना थी जो रहीमी दल की सैनिक बनकर क्रान्तिकारियों के खिलाफ बनने वाली योजनाओं की जानकारी अंग्रेजों से घुलमिल कर जुटाती और क्रान्तिकारियों तक पहुंचाती थी। इसी पेशे से जुड़ी कानपुर की एक और क्रान्ति-नायिका अजीजनबाई ने तो क्रान्तिकारियों से प्रेरणा पाकर 400 वैश्याओं की एक ऐसी टोली बनायी थी जो मर्दाने वेश में रहती थी और क्रांतिकारियों की मदद करती थी। 125 अंग्रेज महिलाओं और उनके बच्चों की रखवाली का कार्य अजीजनबाई की टोली के ही जिम्मे था। इसी कारण इस टोली को आसानी से अंग्रेजों की योजनाओं की गुप्त सूचनाएं प्राप्त हो जातीं जिन्हें वे क्रांतिकारियों तक पहुंचा देती। बिठूर के संग्राम में पराजित होने के बाद जब नाना साहब और तात्याटोपे पलायन कर गये तो अजीजन बाई को गिरफ्तार कर जब अंग्रेज अफसर हैवलाक के समक्ष प्रस्तुत किया तो उसने मृत्युदंड का आदेश दे दिया | इस प्रकार यह वीरांगना भी वीरगति को प्राप्त हुई। ठीक इसी तरह का कार्य नाना साहब की मुंहबोली बहिन तवायफ मैनावती और मस्तानी बाई करती थीं। इन दोनों को भी षड्यंत्र के आरोप में अंग्रेजों ने आग के हवाले कर दिया।
——————————————————————-
संपर्क- 15/109 ईसा नगर थाना सासनी गेट अलीगढ़।

Language: Hindi
Tag: लेख
363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन की बगिया में
जीवन की बगिया में
Seema gupta,Alwar
अजब-गजब
अजब-गजब
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
गिरमिटिया मजदूर
गिरमिटिया मजदूर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
#𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
#𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
DrLakshman Jha Parimal
जीवन का कोई सार न हो
जीवन का कोई सार न हो
Shweta Soni
16.5.24
16.5.24
sushil yadav
जिन्हें हम पसंद करते हैं
जिन्हें हम पसंद करते हैं
Sonam Puneet Dubey
कहाँ है मुझको किसी से प्यार
कहाँ है मुझको किसी से प्यार
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कभी कभी प्रतीक्षा
कभी कभी प्रतीक्षा
पूर्वार्थ
परम्परा को मत छोडो
परम्परा को मत छोडो
Dinesh Kumar Gangwar
भूख 🙏
भूख 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कहानी
कहानी
Rajender Kumar Miraaj
ज़िंदगी में वो भी इम्तिहान आता है,
ज़िंदगी में वो भी इम्तिहान आता है,
Vandna Thakur
देख तुझको यूँ निगाहों का चुराना मेरा - मीनाक्षी मासूम
देख तुझको यूँ निगाहों का चुराना मेरा - मीनाक्षी मासूम
Meenakshi Masoom
2805. *पूर्णिका*
2805. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दहेज की जरूरत नही
दहेज की जरूरत नही
भरत कुमार सोलंकी
तन्हाई में अपनी
तन्हाई में अपनी
हिमांशु Kulshrestha
पहने कपड़े सुनहरे चमकती हुई
पहने कपड़े सुनहरे चमकती हुई
Sandeep Thakur
लोग टूट जाते हैं अपनों को मनाने में,
लोग टूट जाते हैं अपनों को मनाने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" शिक्षा "
Dr. Kishan tandon kranti
चलो, इतना तो पता चला कि
चलो, इतना तो पता चला कि "देशी कुबेर काला धन बांटते हैं। वो भ
*प्रणय*
संतानों का दोष नहीं है
संतानों का दोष नहीं है
Suryakant Dwivedi
सच तों आज कहां है।
सच तों आज कहां है।
Neeraj Agarwal
ज्यादा खुशी और ज्यादा गम भी इंसान को सही ढंग से जीने नही देत
ज्यादा खुशी और ज्यादा गम भी इंसान को सही ढंग से जीने नही देत
Rj Anand Prajapati
चाचा नेहरू
चाचा नेहरू
नूरफातिमा खातून नूरी
जिन्दगी तेरे लिये
जिन्दगी तेरे लिये
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
अक्षर-अक्षर हमें सिखाते
अक्षर-अक्षर हमें सिखाते
Ranjeet kumar patre
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
Paras Nath Jha
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Satya Prakash Sharma
Loading...