#ग़ज़ल-19
मीटर-1222-1222-1222
हुनर तो आप में है मानते हैं हम
गुणों की ही कदर है जानते हैं हम/1
कहे दिल हूँ सबल मैं तो इसी में इक
वही करना सदा बस ठानते हैं हम/2
खुदी को जो भूल जाए वो खुदी मरता
तिरी औक़ात को पहचानते हैं हम/3
दवा हर मर्ज़ की है सोच दीवाने
तुम्हें ज़ल्दी मिलेगी सानते हैं हम/4
वतन से ही अगर धोखा करेंगे तो
खुदी पर मानिए गन तानते हैं हम/5
सही क्या है गलत क्या है पता है रे
सुनो तुम ख़ाक तो ना छानते हैं हम/6
-आर.एस.’प्रीतम’
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