” हुई हृदय झंकार “
गीत
पाती तेरे नाम लिखी है ,
हुई हृदय झंकार !!
जो अधरों से कह न पाया ,
दिया उसे आधार !
शब्द शब्द में आज डुबोई ,
मैंने है मनुहार !
मुस्कानें चाहूँ प्रतिफल में ,
कर देना उपकार !!
भेद तुम्हारे नयन कह गये ,
जब पकड़ा था हाथ !
चाहत में अब शेष रहा क्या ,
कभी न छूटे साथ !
मन से मन का मिलन ज़रूरी ,
जुड़े रहें बस तार !!
सौगातों में जो कुछ पाया ,
कैसे जाएं भूल !
काँटे ही काँटे पाये हैं ,
मिले कहाँ हैं फूल !
मिलन हमारा रहे अधूरा ,
चाहे यह संसार !!
कदम कदम पर साथ निभाना ,
यही प्रीत की रीत !
हाथ न छूटे , साथ न छूटे ,
ओ मेरे मनमीत !
आने वाले पल स्वर्णिम हैं ,
करना है सत्कार !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्य प्रदेश )