हुई पावन मेरी कुटिया, पधारे राम रघुराई।
हुई पावन मेरी कुटिया, पधारे राम रघुराई।
परम सौभाग्य मैं गदगद चकित सुधबुध हि बिसराई
अजब है हाल आखिर भाव विह्वल हूँ मै शवरी सा,
निहारत नैन भर नैना,निरख छविधाम सुखदाई ।
हुई पावन मेरी कुटिया, पधारे राम रघुराई।।
मेरे प्रभु राम मंगल धाम दुख का नाश करते हैं,
जो तन मन में सहज ही भाव का विश्वास भरते हैं,
कभी बनते हैं तारनहार मेरे प्रभु अहिल्या के
तो सागर से विनय करते विनय के धाम रघुराई।
हुई पावन मेरी कुटिया पधारे राम रघुराई।।
रमे हैं राम कण-कण में, ये कण-कण कह रहा भाई,
ये खग मृग हों कि जड़-चेतन सिया सुधि सब से है पाई
सियासत ने नहीं छोड़ा सिया औ राम को भाई
सिया सुखधाम सीताराम हैं त्रैलोक्य सुखदाई ।
हुई पावन मेरी कुटिया पधारे राम रघुराई।।