हीर मात्रिक छंद
हीर मात्रिक छंद-विधान
कुल२३ मात्राएँ हैं
दो दो पद या चारो पद तुकान्त।
६,६,११ पर यति होता है।।
चरणांत – २१२ से एवं यति में पदानुप्रास अति आवश्यक है।
जब देखा , यह लेखा , बातें बेकार है |
सभी मौन , कहे कौन , फूटा यह द्वार है ||
जब सुयोग , हटें रोग , खिलते घर फूल है |
करो कर्म , नहीं शर्म , तब सब अनुकूल है ||
जब सपने , हो अपने , दुनिया अनुकूल है |
जो रोते , वह खोते , करते भी भूल है ||
है अपना , निज चलना , मंशा यदि साफ है |
जग कहता , जो तपता, वह खुद में माफ है ||
मुक्तक
हर घर में , दर-दर में , नेमत है बेटियां ,
खुशयाली , हरयाली , सेहत है बेटियां ,
ये रब की , हम सबकी,नूर ही सुभाष है ~
करे नाम , है धाम , देवत है बेटियां |
है उमंग , ह्रदय रंग , सजती है बेटियाँ ,
है विचार , मधुर प्यार, रहती है बेटियाँ ,
कह ‘सुभाष’ , हैं प्रकाश ,आँगन की शान भी
आस पास , शुभ उजास , करती है बेटियाँ |
सुभाष सिंघई