हिमालय हैं पिता
हिमालय हैं पिता
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अटल हिमालय सा होकर,
अपनी बात से जो न डिगते,
करते हम बच्चों के मन की!
हम सबको खुश करते,
ढेर सारे खिलौने देकर —-
हम सब बच्चे ताली बजाते,
और बहुत खुश होते।
कि!पापा हम सबके मन की करते,
अपना वादा सदा निभाते!
अटल हिमालय सा होकर—-
कभी न हमसे गुस्सा होते,
और न कभी भी रूठें।
ढेरों प्रेम लुटाते,हम बच्चों पर!
अटल हिमालय सा होकर —–
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर उ०प्र०