हिन्दू जागरण गीत
हिन्दू जागरण गीत
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उठो हिन्दू ,जगो हिन्दू ,
नहीं तो फिर मिटो हिन्दू।
कर्म अपना तुम भूलो मत,
पढो़ गीता कहो हिन्दू।
रामायण की वो मर्यादा,
जनजीवन में रहे ज्यादा,
महाभारत की कर्मनिष्ठा,
चतुर्वेदों की हो धर्मनिष्ठा।
बालक ध्रुव सा दृढ़ माथा ,
भक्त प्रह्लाद की वो गाथा ,
तुम अपनों से कहो हिन्दू ,
नहीं तो फिर,मिटो हिन्दू।
पढ़ो हिन्दू,रहो हिन्दू ,
नहीं तो फिर मिटो हिन्दू।
कर्म अपना तुम भूलो मत,
पढो़ गीता कहो हिन्दू…
देखा है सदियों तक,
गुलामी को यहाँ तुमने,
जीते थे यूँ घुट-घुट कर,
कफन बांधे यहाँ तुमने।
चाहे वो तुर्क हो मंगोल हो,
या ईरान दस्यु हो,
वो कहते थे हमें कायर,
एकता कभी न सीखा हमने।
हमें छाँटा था रियासत से,
हमें बाँटा फिर वो सियासत मे,
समझोगे कब इसे हिन्दू ,
आपस में मत लड़ो हिन्दू…
उठो हिन्दू,जगो हिन्दू ,
नहीं तो फिर,मिटो हिन्दू।
कर्म अपना तुम भूलो मत,
पढो़ गीता कहो हिन्दू।
हर माथे पर हो तिलक चंदन,
लगे जैसे तुम रघुनन्दन,
तुणीर बाणों से न खाली हो ,
हर कंधा सुसज्जित हो।
हर नारी हो यहाँ विदुशा,
यदि जरूरत पड़े करे अग्निवर्षा।
खड्ग की धार सदा चमके,
कभी न मंद कुंठित हो।
करने संहार असुरों का,
महर्षि दधीचि सा तुम बनो हिन्दू।
उठो हिन्दू जगो हिन्दू,
अब सोओ मत उठो हिन्दू…
उठो हिन्दू,जगो हिन्दू….
मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०९/०७ /२०२३
श्रावण , कृष्ण पक्ष , सप्तमी ,रविवार
विक्रम संवत २०८०
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