हिन्दुस्तान लेकर निकला हूँ
छोटे शहर से मैं बड़े अरमान ले कर निकला हूँ
मैं खुद अपनी मौत का सामान लेकर निकला हूँ
मेरे वतन की वफादारी पर ऐ ऊँगली उठाने वालो
मैं अपने गोसे गोसे में हिंदुस्तान लेकर निकला हूँ
भटकी हुयी कॉम ये मोहम्मद की रह पर आ जाये
इसीलिए नबीऐ पाक का फरमान लेकर निकला हूँ
ऐ काफिर तू हमें इतना भी कमज़ोर मत समझ लेना
मैं घर से बूढी बुढ़िया का ईमान लेकर निकला हूँ
ऐ भाई मैं किसी जालीम के आगे सर न झुकाउंगा
मैं वालिद की गरीबी वाली शान लेकर निकला हूँ