हिंदू तू हो गया मैं मुसलमान हो गया
ग़ज़ल
हिंदू तू हो गया मैं मुसलमान हो गया।
वो आदमी कमाल जो इंसान हो गया।।
क्या खूब हमने नाम भी उस रब के रख लिये।
मेरा ख़ुदा हुआ तेरा भगवान हो गया।।
तूने पढ़ी न मैने सबक ही लिया कोई।
गीता हुई तेरी मेरा कुर’आन हो गया।।
मैने वज़ू किया है किया तूने आचमन।
है गुस्ल मेरा तो तेरा स्नान हो गया।।
होती बहस है रोज़ यूं मुद्दे उछाल कर।
मज़हब तो आज जंग़ का मैदान हो गया।।
कुदरत ने तो “अनीस”हर इक रंग दिया है।
अब लाल या हरे की ये पहचान हो गया।।
—अनीस शाह “अनीस”