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11 Jan 2023 · 1 min read

हिंदी

अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस –

अंतर्मन अभिव्यक्ति है
हृदय भाव कि धारा है
पल प्रहर बहने
और निखरने दो
हिंदी तो अपनी बोली है
इसे जन जन मन से ही
निकलने दो।।

पग अवनी के साथ
मां हिंदी जैसी
आत्म साथ
ममता जननी जैसी है।।

रुदन और मुस्कान
वात्सल्य का स्नेह नेह
जन्म जीवन के
संग साथ साथ ही
चलने दो।।
हिंदी अपनी इसे
जन मन से ही निकलने दो।।

हिंदी आ अह क़ से ज्ञ जन्म जीवन अनुभूति
हिंदी धन्य धरोहर है
पल प्रहर प्रभा
दिवस संध्या निशा
नित्य निरंतर
उदय उजियार को बढ़ने दो।।

स्वर व्यंजन
शब्द अक्षर
साहस करुणा
प्रेम रौद्र
रस छंद अलंकार
गीत काव्य
नाटक कहानी
अतीत वर्तमान
इतिहास वर्णनकरती है
हिंदी तो अम्बर अवनी हैं।।

अटल भाष्य भाव
अंतरराष्ट्र वैश्विक मानवता
प्रवाह
युग चेतना जागरण
जागृति भाव
गौरव गरिमा अपनी है।।

माथे कि बिंदिया
मां भारती श्रृंगार
आचार व्यवहार
मन भावो कि
धारा नित्य निरंतर
बहती हैं।।

काल समय वक़्त
साक्ष्य गवाह
हिंदी मानवता
कि शाहोदरी भगिनी हैं ।।

जनपद क्षेत्र कि
बोली भाषा
कि आत्म प्रभाव
सम्मोहनी हैं।।

प्रस्फुटित
निखार प्रखर है
राष्ट्र भाव
हिंदी खोजती पहचान
राष्ट्र भाषा की
गौरव गरिमा कि
चाहत मिलनी और संवरनी हैं।।

संस्कृत से जन्मी
व्याकरण
समास कहावत
और मुहावरों से
सुसज्जित बोली
भाषा बोली
भाषाओं कि
अलबेली धरणी है।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।

Language: Hindi
Tag: गीत
141 Views
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