हिंदी
जंग है हाँ ये आखिरी,
सुन सको तो
सुन लो हाँ,
प्राण पर आघात हो
या
सिंधु पे कोई बात हो,
नवसृजन की बात जब
फैसला उत्तरार्ध हो,
हाँ,
फैसला उत्तरार्ध हो।
इंतज़ार कर रही है अब
प्रज्ज्वलित वो रोशनी
इस जनम को
फिर से जी
दृढ़ता में आग हो…?
फैसला शुरुआत हो…?
तुम पुज्य हो हिंदी ?
हिंदी_दिवस ??
©दामिनी नारायण सिंह।