हिंदी हूं मैं भारत मां कि….
…. हिंदी हूं मैं
विधा….. गीत
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हिंदी हूं मैं….भारत मां की बिंदी हूं मैं
देश की राष्ट्र धरोहर हूं मैं
भाषा की लिपि मनोहर हूं मैं
मुझको पढ़कर झूम उठे सब
मुझको सुनकर नाच उठे सब
सबकी प्यारी -राजदुलारी हिंदी हूं मैं
हिंदी हूं मैं भारत मां…………
कभी बनी मैं श्रेष्ठ कबीरा
कभी बनी बैरागन मीरा
कभी सजाई जयशंकर ने
महादेवी की पीड़ा हूं मैं
हिंदी हूं मैं भारत मां………….
मुझको पढ़कर दुष्यंत झूमे
भारतेंदु ये जग घूमें
प्रेम चंद की पटकथा में
रैदास की श्रेष्ठता में
बाबा नागार्जुन की कुटिया में
सुभद्रा की झांसी हूं मैं
हिंदी हूं मैं भारत मां…………
हरिवंश की मधुशाला में
काका की हास्यशाला में
नीरज की कार्यशाला में
कुबरं बैचेन की ज्वाला में
विश्वास की हूं सांसों में
कीर्ति काले का आंचल हूं मैं
हिंदी हूं मैं भारत मां…………..
मैं गुलजार का गुलदस्ता
शैलेन्द्र की पीड़ा का बस्ता
मैं निराला का हूं रस्ता
सफ़र नहीं ये इतना सस्ता
गीतों की वर्णमाला हूं मैं
“सागर” की आंहो में हूं मैं
हिंदी हूं मैं भारत मां की बिंदी हूं मैं!!
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जनकवि/बेख़ौफ़ शायर
डॉ. नरेश “सागर”
इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित
9149087291