हिंदी से स्वराष्ट्र की
हिंदी से स्वराष्ट्र की
चेतना तुम जगा दो ।।
हिम से हिंद का
विस्तार तुम कर दो ।।1।।
मानव में प्रेम का
प्रकाश तुम जगा दो ।।
बढ़ रही विकृति को
नाथ तुम हटा दो ।।2।।
राष्ट्र मूल हो सभी का
संकल्प तुम बंधा दो ।।
एक भाषा हो सभी की
जो सरल सहज विज्ञान हो ।।3।।
हिंदी से स्वराष्ट्र की
चेतना तुम जगा दो ।।