$हिंदी भाषा
भारत माता के भाल की, हिंदी बिंदी एक।
मान बढ़ाए ये देश का, सहज सरल बन नेक।।
वैज्ञानिकता की मीत है, लिखो पढ़ो समरूप।
ज्ञान भरा ये वाङ्मय लिए, मानो मृदु जल कूप।
शब्द शहद सम मीठे सभी, लिए मधुरता टेक।
मान बढ़ाए ये देश का, सहज सरल बन नेक।।
सभी विधाएँ पढ़ लीजिए, हिंदी की सब शान।
गंगा-जल सम पावन लगें, करें तुम्हें गुणवान।।
गीत कहानी कविता सभी, उज्ज्वल करें विवेक।
मान बढ़ाए ये देश का, सहज सरल बन नेक।।
हर भाषा मनहर निज रूप में, करो सभी का मान।
गर्व हिंद का हिंदी बने, ऊँची भरे उड़ान।।
सभी देश निज भाषा लिए, रौब करें प्रत्येक।
मान बढ़ाए ये देश का, सहज सरल बन नेक।।
तत्सम तद्भव देशज लिए, शब्द विदेशी रूप।
शंकर शब्दों को ले चली, मिला प्रेम की धूप।।
हिंदी अपनी हर चाल में, शब्द फ़सल की सेक।
मान बढ़ाए ये देश का, सहज सरल बन नेक।।
# आर.एस. ‘प्रीतम’
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