हिंदी भाषा
हिंदी भाषा मधुर है अति,
विश्व भर में है इसकी ख्याति ।
विदेश में भी हिंदी का ले रहे हैं ज्ञान,
अपने ही देश में रहकर क्यों ना देते हम इसे सम्मान ।
अहिंदी- हिंदी भाषी राज्य अभी भी क्यों बंटें हुए हैं,
लोग क्यों अपने देश की भाषा को नहीं अपना रहे हैं।
अंग्रेजों के अत्याचार हम खुब सहे थे ,
लेकिन उनकी भाषा को क्या हम छोड़ सके हैं ?
देश के हर प्रांत को जोड़ सकती है हिंदी,
आखिर किस बात की है इसमें आपत्ति ।
हिंदी भाषा हर भाषाओं के शब्दों को अपना लेती है,
हर राज्यों को जोड़ देश को एकजुट बना सकती हैं।
मातृभाषा सबकी अलग-अलग हो सकती है ,
लेकिन राष्ट्रभाषा राष्ट्र के गौरव को बढ़ाती है ।
हमें गर्व है अपने देश की भाषा से ,
बुलंद स्वर में हिंदी है हम कहेंगे।
—-उत्तीर्णा धर