*हिंदी भाषा…भावों का समंदर
*हिंदी भाषा…भावों का समंदर
अपनी भाषा में एक एहसास है ।
हिंदी देश का स्वाभिमान है ।
हिंदी से भविष्य और वर्तमान है ।
हिंदी भावों का महाजाल है ।
भावों का समंदर रहता है इसमें ।
एहसास से गुथा एक धागा है जिसमें ।
जोड़ देता है मन से मन को पल में कहीं भी ।
टूटते दिलों को जोड़ देता है दूर से ही ।
भावनाओं की भाषा सौहार्द बनाती है ।
लिपि भाषा को लिखना सिखाती है ।
भाषा से ही ज्ञान समृद्ध, विशाल मुमकिन है ।
भाषा नहीं तो शब्दों का महाजाल बुनना मुश्किल है ।
देश विदेश में भी इसका परचम लहराया है ।
सबने हिंदी को मन से अपनाया सौभाग्य हमारा है ।
अभिमान है हमें…हम हिंदुस्तानी हैं।
गौरवान्वित हैं हम… कि हम हिंदी भाषी हैं ।
कवयित्री
नीरू मोहन ‘वागीश्वरी