हिंदी दोहा- अर्चना
हिंदी दोहा -अर्चना
#राना करता अर्चना , सदा हाथ को जोड़ |
जो जीवन में दें सदा ,सत्य न्याय का मोड़ ||
श्री गणेश की अर्चना , प्रथम पूज्य में गान |
शीष झुका #राना उन्हें , देता है सम्मान ||
कविता कलम दवात है , #राना का प्रतिमान |
करूँ अर्चना शारदे , करता उनका गान ||
सभी अर्चना योग्य है , #राना का संज्ञान |
जिनके रहता पास है , न्याय धर्म ईमान ||
मत भूलें हम अर्चना , #राना दें सम्मान |
खेतों खड़े किसान है , सीमा डटे जवान ||
एक हास्य दोहा –
धना कहे #राना सुनो , करो अर्चना आप |
मै गृह की हूँ लक्षमी , करिए मेरा जाप ||
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✍️ -राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
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