हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा :मेरे कुछ मुक्तक
(1)
हिन्द की भाषा हिंदी है उसकी पहचान हिंदी है ।
उसका सिरमौर हिंदी है उसका सम्मान हिंदी है।
उसकी मिट्टी से जन्मी है फली फूली उसी में है
हिन्द में रहने वालों का जगत में मान है हिंदी ।।
(2)
कृषक के मन की भाषा है मेरे मजदूर की हिंदी।
गैर अपना बनाने को करती मजबूर ये हिंदी ।
सिंधु की लहरों से निकली हिन्द के माथ पर बैठी
रवि किरणों-सी यह फ़ैली दूर से दूर तक हिंदी ।।
(3)
मैं हिंदुस्तान की बेटी मेरी भाषा भी हिंदी है।
मेरा पढ़ना मेरा लिखना मेरी आशा हिंदी है।
सिंधु से हिन्द बन करके दिलो में आ समाई है
मेरा गाना मेरा रोना और निराशा भी हिंदी है।।
(4)
हम हिंदुस्तान में रहते हमारी भाषा हिंदी है।
हमारी सोच हिंदी है और आशा भी हिंदी है।
भले ही हम बोलते हो कई अन्य जुबानों को
मगर सम्पर्क साधने की परिभाषा तो हिन्दी है।
(5)
मेरा शैशव मेरा गौरव मेरा जगमान हिंदी है।
मेरा अरमान हिंदी है मेरा सम्मान हिंदी है।
यहीं जन्मी फली फूली यहीं है कर्मभूमि भी
तभी पहचान है हिंदी और अभिमान हिंदी है ।
(6)
छोड़ रिस्पेक्ट को यारो करो सम्मान हिंदी में ।
इंडिया को परे रख कर कहो भारत हिंदी में ।
वरी को चिंता में बदलो सॉरी को खेद में बदलो
पढ़ो हिंदी लिखो हिंदी करो सब काम हिंदी में