हास्य-व्यंग्य
पूजा उसका प्रेम है, निब्बा देत दलील
लुटिया ले डूबे गई, निब्बी आंखें झील,
निब्बा से निब्बी कहे, करो जान लव फील
चार दिन पे नया मिला, ओल्ड बाॅय तब्दील
संगी सब ज्ञानी भए, पाई ऐसी ढील
चच्चा गरियाए रहे, बेटा तुम अश्लील
मृग नयनी के प्यार में, इतने हुए जलील,
बैंक पीओ बनन चले, घास रहें हैं छील
ब्याह को तुम मचल रहे, तुमसे एक अपील
ससुरारी बच के रहो, वो नागिन के बील,
सदानन्द कुमार
समस्तीपुर बिहार