हास्य-व्यंग्य
परहेज़ का है
आजकल
बहुत बडा करेज.
मीडिया का है.
बहुत घटिया कवरेज.
पहले आओ पहले पावो,
अब आने की जरूरत नहीं,
कंपनियों को दिवालिया करो,
संभालने के नाम से लोन लेकर
खरीद करो,
और विदेश भाग जाओ.
चंपत लाल हो मुखिया.
चंपत होने की,
हररोज है, बनती है,
सुर्खियां.
जमीन बिक्री पंद्रह मिनट बाद में,
खरीदार के कागजात चढ गये.
उससे पहलां.
ना कोई खोज
ना कोई खबरिया.
खूब नाचे बंदरियां.
आदमी का जीवन-स्तर,
जैसे भेड-बकरियां.
शर्म आपदा प्रबंधन कानून की हवा करों,
दवा का भी पर्चे हाथ में.
पहले चालान के पैसे भरो.
थोडे बहुत सांस बचे हो.
करडा तुम मास्क करो.
चाहे छत से कूद मरो,
तुम को है मरना,
चाहे अस्पताल का बिल भरते.
रो रोकर, बिलख बिलक मरो.
बस तुम प्रभु श्रीराम के चरणों
में सेवा कर … प्राण त्याग करो.
Mahender Singh Hans