हास्य गजल
मैं सारी रात तेरी याद में रो कर आया हूं
पिछले हफ्ते के सारे कपड़े धो कर आया हूं,
पागलों की तरह तेरी तस्वीर से बात करने पर खुद को डांटा है
बड़ी मुश्किल से अपने आंसू रोक मैंने प्याज काटा है,
यार यह टमाटर एकदम पिलपिला है सख्त नहीं है
सबके लिए है उसके पास बस मेरे लिए वक्त नहीं है,
चार सिटियां बजा चुका यह कुकर दाल नहीं गल रहीं है
कब से ट्राई कर रहा हूं पर उसकी कॉल नहीं लग रही है,
उलझ के रह गया हूं मैं इन झालों की सफाई में
किसी और की चूड़ियां देखी है मैंने उसकी कलाई में,
कड़ाही को देख सीटी बजाता है बार² कुकर तो जैसे दीवाना हो गया है
रगों में लहू जमने लगा है उसे गले लगाए जमाना हो गया है
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