Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2023 · 4 min read

हास्य कथा :अहा कल्पवृक्ष

हास्य कथा :अहा कल्पवृक्ष
********************************
कल मैंने सपने में देखा कि भारत में बड़ी मुश्किलों से किसी ने एक कल्पवृक्ष लाकर खड़ा कर दिया है। चारों तरफ खुशी की लहर है । कल्पवृक्ष के बारे में सभी जानते हैं कि इससे जो मांगो, वह मिल जाता है । दिल्ली में कल्पवृक्ष लाकर रखा गया है। लोग जा- जा कर उससे कुछ मांग रहे हैं और उनकी मुरादें पूरी हो रही है । भीड़ लगती जा रही है। न जाने कहां कहां से लोग कल्पवृक्ष से कुछ मांगने के लिए आ रहे हैं।
कुछ समय तक तो सब ठीक-ठाक चला, लेकिन बाद में भीड़ बहुत होने लगी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कई बार लाठीचार्ज करना पड़ा, आंसू गैस छोड़नी पड़ी । फिर भी भीड़ बढ़ती जा रही थी और दिल्ली में सड़कों पर चलने के लिए जगह नहीं थी। हर आदमी पूरे देश से दिल्ली की तरफ भागा चला आ रहा है। सब का यही कहना है ,हमें कल्पवृक्ष से कुछ मांगना है। जिन लोगों ने कल्प वृक्ष से कुछ मांगा और उन्हें मिल गया, वे चारों तरफ कल्पवृक्ष की तारीफें करते हुए घूम रहे हैं, अपने अनुभव बता रहे हैं।…. सच्चा कल्पवृक्ष है….. असली है.. काम कर रहा है।
दिल्ली में इतनी भीड़ हो गई कि दिल्ली में प्रवेश बंद करना पड़ा। केवल एक तरफ जाने का रास्ता है जहां से लोग वापस जा रहे हैं ।आने के रास्ते बंद हो गए हैं।
देश के तमाम दूरदराज के क्षेत्रों ने मांग उठाई है…….।. एक कल्पवृक्ष से काम नहीं चलेगा। हर राज्य में कम से कम एक होना चाहिए …सरकार फँस गई ,मांगे उठ रही हैं। अब कल्पवृक्ष कहां से आए ? तो कोशिश हुई कि कल्प वृक्ष की टहनी काटकर उसको लगाया जाए । शायद दूसरा कल्पवृक्ष तैयार हो जाए ।सौभाग्य से ऐसा हो गया फिर क्या था टहनियां काट -काट के सभी राज्यों में भेजी गई, फिर भी मांग बढ़ती जा रही थी। हर जिले में भेजी गई । कुछ लोकसभा क्षेत्र कल्पवृक्ष वाले क्षेत्र हो गए। वहाँ भी नयी समस्याएं पैदा हुईं। एक लोकसभा क्षेत्र और केवल एक कल्पवृक्ष । हर आदमी कल्पवृक्ष तक जाता था और लौटने के बाद अगले दिन फिर कल्पवृक्ष की लाइन में लग जाता था ।
कुछ लोगों ने कल्पवृक्ष से इतना मांगा… इतना मांगा….कि उनके पास ले जाने के लिए एक ट्रक भी कम पड़ गया। कल्पवृक्ष सब को जितना मांगो, दे रहा था।
फिर ऐसा हुआ कि कुछ लोगों ने अलग अलग तरह की फरमाइश शुरू कर दी। विभिन्न प्रकार की भोजन सामग्री…… बर्गर , पिज़्ज़ा आदि।
कल्पवृक्ष ने कहा हमारे सिस्टम में यह चीजें अभी उपलब्ध नहीं हैं। जब विज्ञान थोड़ी और ज्यादा प्रगति करेगा, तब हम नई नई चीजों को आपको उपलब्ध कराएंगे।
नयी मुसीबत यह हुई कि लोगों ने काम करना बंद कर दिया। नतीजा यह निकला कि उनकी पाचन प्रक्रिया में दोष आ गया। पेट खराब रहने लगा । शरीर आलसी होने लगा। बीमारियां फैलने लगी। अब बीमारी के लिए लोग गए । कल्पवृक्ष से कहा” हमारी बीमारी दूर कर दो ।”…… कल्पवृक्ष बोला” जैसा खाओगे, वैसा भरोगे। जब तुमने मेहनत नहीं की, तो शरीर तो जाम होना ही था। मैं कुछ नहीं कर सकता । ”
लोगों ने कहा कि कल्पवृक्ष काम नहीं कर रहा है । उसको बदलो , नया लेकर आओ । हाय हाय के नारे लगने शुरू हो गए। कुछ लोग कहने लगे कि” हमें हर समय युवा बना रहना चाहिए। बुढ़ापा नहीं आना चाहिए।” कल्पवृक्ष के पास जाकर उस से युवावस्था मांगने लगे । जो 80 साल के बूढ़े थे ,यह कह रहे हैं कि हमें 20 साल का नौजवान बना दो।”
कल्पवृक्ष का सिस्टम खराब हो गया ।कहने लगा “ऐसी उलजलूल मांगे हमने स्वर्ग में तो कभी नहीं सुनी। यह धरती पर लोग हम से क्या क्या मांग रहे हैं ? ” चारों तरफ अराजकता फैली हुई थी । हर आदमी मांगने में लगा हुआ था । कल्पवृक्ष ने जवाब दे दिया, बोला मैं कुछ नहीं कर सकता”।
.. हारकर सरकार ने कल्पवृक्ष को वापस स्वर्ग भेजने का निर्णय लिया और जनता से कहा कि लोगों की मांगों को कल्पवृक्ष पूरा नहीं कर सकता, क्योंकि कल्पवृक्ष की सीमाएं हैं । आप लोग मेहनत करिए, कुछ शारीरिक परिश्रम करेंगे तो शरीर स्वस्थ रहेगा । इस प्रकार से मेहनत करके तथा अपने हुनर का प्रयोग करके धन कमाइए और कमाए हुए धन से अपने लिए मकान कपड़ा वस्त्र भोजन और चिकित्सा का प्रबंध करिए ।
कुछ लोगों ने स्वर्ग से संपर्क किया। पूछा बताइए ! आपके यहां कल्पवृक्ष क्या करता है ? स्वर्ग से जो जवाब आया , वह अद्भुत था । बोले “हमारे यहां तो कल्पवृक्ष केवल शोभा की वस्तु है। इसका कोई उपयोग नहीं होता । स्वर्ग में कोई बीमार नहीं होता। स्वर्ग में कोई बूढ़ा नहीं होता । स्वर्ग में किसी अस्पताल की आवश्यकता नहीं है। स्वर्ग में किसी को भूख प्यास नहीं लगती । स्वर्ग का वातावरण प्रदूषण – रहित होता है ।”
स्वर्ग से यह रिपोर्ट आने के बाद धरती पर सबकी समझ में आ गया कि हमारे पास कल्पवृक्ष के नाम से जो चीज बाहर से भेजी गई थी, वह कल्पवृक्ष न होकर कोई और चीज है। तथा हम कल्पवृक्ष को जैसा समझते थे, कल्पवृक्ष पैसा नहीं होता।
यद्यपि सबकी समझ में आ चुका है कि कल्पवृक्ष जैसी कोई चीज कहीं नहीं होती । लेकिन फिर भी बहुत से चतुर नेता लोग अपने चुनावी घोषणापत्र में यह लिख रहे हैं कि वह अगर सत्ता में आए तो हर घर के अंदर एक- एक कल्पवृक्ष 24 घंटे में लगवा देंगे । काफी लोग उन पर विश्वास कर रहे हैं । देखिए , क्या होता है । सरकार का दिवाला पिट चुका है ,लेकिन फिर भी जनता की मांग है कि हमारी मांगे पूरी करो …हमें कल्पवृक्ष चाहिए …हर हालत में चाहिए।।
*******************************
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

404 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
3227.*पूर्णिका*
3227.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संगीत........... जीवन हैं
संगीत........... जीवन हैं
Neeraj Agarwal
प्यार की कलियुगी परिभाषा
प्यार की कलियुगी परिभाषा
Mamta Singh Devaa
Kabhi kabhi paristhiti ya aur halat
Kabhi kabhi paristhiti ya aur halat
Mamta Rani
"मैं मजदूर हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आजकल बहुत से लोग ऐसे भी है
आजकल बहुत से लोग ऐसे भी है
Dr.Rashmi Mishra
आदमी का मानसिक तनाव  इग्नोर किया जाता हैं और उसको ज्यादा तवज
आदमी का मानसिक तनाव इग्नोर किया जाता हैं और उसको ज्यादा तवज
पूर्वार्थ
चुनावी रिश्ता
चुनावी रिश्ता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ज़िद..
ज़िद..
हिमांशु Kulshrestha
जी हां मजदूर हूं
जी हां मजदूर हूं
Anamika Tiwari 'annpurna '
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
Sanjay ' शून्य'
■ आज का दोहा...।
■ आज का दोहा...।
*प्रणय प्रभात*
जीत मनु-विधान की / MUSAFIR BAITHA
जीत मनु-विधान की / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
हम सनातन वाले हैं
हम सनातन वाले हैं
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
रात स्वप्न में दादी आई।
रात स्वप्न में दादी आई।
Vedha Singh
आप सुनो तो तान छेड़ दूं
आप सुनो तो तान छेड़ दूं
Suryakant Dwivedi
दिल तमन्ना कोई
दिल तमन्ना कोई
Dr fauzia Naseem shad
★बादल★
★बादल★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
आज का अभिमन्यु
आज का अभिमन्यु
विजय कुमार अग्रवाल
झूठ रहा है जीत
झूठ रहा है जीत
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
आईना ने आज़ सच बोल दिया
आईना ने आज़ सच बोल दिया
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दुश्मन कहां है?
दुश्मन कहां है?
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
हो रही है भोर अनुपम देखिए।
हो रही है भोर अनुपम देखिए।
surenderpal vaidya
*गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा (गीत)*
*गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा (गीत)*
Ravi Prakash
श्री कृष्ण का चक्र चला
श्री कृष्ण का चक्र चला
Vishnu Prasad 'panchotiya'
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
वक्त नहीं है
वक्त नहीं है
VINOD CHAUHAN
फलसफ़ा
फलसफ़ा
Atul "Krishn"
Loading...