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8 Aug 2022 · 1 min read

हाल अपना

कहो तो कुछ मेरी जाना हम तुमको सुनने बैठे हैं
तुम्हारे साथ कैसे थे तुम्हारे बाद कैसे हैं

क्यों जल के भी मिलता नहीं है ख़ाक में मोहन
नहीं तासीर अब ठंडी यूंही अब राख जैसे हैं

-मोहन

2 Likes · 268 Views
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