हाल अपना
कहो तो कुछ मेरी जाना हम तुमको सुनने बैठे हैं
तुम्हारे साथ कैसे थे तुम्हारे बाद कैसे हैं
क्यों जल के भी मिलता नहीं है ख़ाक में मोहन
नहीं तासीर अब ठंडी यूंही अब राख जैसे हैं
-मोहन
कहो तो कुछ मेरी जाना हम तुमको सुनने बैठे हैं
तुम्हारे साथ कैसे थे तुम्हारे बाद कैसे हैं
क्यों जल के भी मिलता नहीं है ख़ाक में मोहन
नहीं तासीर अब ठंडी यूंही अब राख जैसे हैं
-मोहन