*हाले दिल बयां करूं कैसे*
हाले दिल बयां करूं कैसे
नजर से नजर जब मिलती है,
नजरों को नजरों से होता है प्यार।
नजर से नजर जब मिलती है,
नजरों को नजरों से होता है प्यार।
नजरों को नजरों से प्यार होता है
तब हाले दिल बयां करूं कैसे,,,,
नजर के रास्ते दिल में उतर जाते हैं,
नजर के रास्ते दिल में उतर जाते हैं,
तब हाले दिल बयां करूं कैसे,,,,
निगाहों में बस हर जगह दिखते हैं,
हर घड़ी हर पल नजर वह आते हैं
तब हाले दिल बयां करूं कैसे,,,,
हर घड़ी हर पल करू इंतजार,
पास आए तो ना कर सकूं इजहार।
हाले दिल बयां करूं कैसे,,,,
वक्त को गले ना लगा पाऊं जैसे।
निगाहों को निगाहों की बात जरा समझाओ,
दिल में बसाओ और दिल में बस जाओ।
ना कोई शिकवा, शिकायत रखो,
और न रखने दो उनको।
हाले दिल बयान करके,
अपना बनाओ उनको।
रचनाकार
कृष्णा मानसी