हालातों में क्यूं हम
हालातों में क्यूं हम
रिश्तों पर शिकायत यूं करते हैं
दर्द है ये अपने ही
क्यूं दूसरों से बयां हम करते हैं
जिंदगी है उदास क्यूं हर वक़्त
खुद से कहां हम करते हैं
मैफिले सजती है सिर्फ खुशियों की
क्यूं दर्द में हमें अपने ही काम आते हैं
छूटती है हातों से लकीरे किस्मत की
क्यूं भगवान को हम दोषी ठहराते हैं
कमी रह गयी क्या हम में थोडी़ सी
क्यूं ये अपने अकल से नहीं पूछते हैं
क्यूं हमें इस क्यूं का
मतलब नहीं हैं समझता
जैसे खोया हुआ पल
फिर से वापस नहीं हैं मिलता