जीत-हार में भेद ना,
जीत-हार में भेद ना,हो जाता जब प्रेम|
दो उर,निज दिल हारकर, जीत बने सद्प्रेम ||
…………………………..
उर=हृदय,दिल
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सु ऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
जीत-हार में भेद ना,हो जाता जब प्रेम|
दो उर,निज दिल हारकर, जीत बने सद्प्रेम ||
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उर=हृदय,दिल
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सु ऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता