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7 Jun 2023 · 1 min read

गूँजे कानन सूना सूना

क्या मानव लीला तेरी
लील गया तू जंगल सारे ,
करें रुदन सब वनवासी
बचे नहीं वृक्ष घर हमारे ।

घूमें गज हरि सड़कों पर
खोजें जल भोजन बेचारे,
भटक रहे कपि गलियों में
गये कहाँ उनके चौबारे ।

निकले सरीसॄप बिलों से
तप्त हुई धरा के मारे ,
रेंग रहे वो भी कोनों में
ढूँढे अपने नये सहारे ।

गूँजे कानन सूना सूना
नहीं गूँजते अब किलकारे,
घटता वन परिवार पूछता
क्यों छीने उनके घर द्वारे ।

डॉ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल

Language: Hindi
2 Likes · 205 Views
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