Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2022 · 1 min read

*हाय पैसा* 【 *कुंडलिया* 】

हाय पैसाकुंडलिया
■■■■■■■■■■■■■■
पैसा ज्यादा है बुरा , लाता सौ-सौ भोग
पतनशील जीवन हुआ , लगते ढेरों रोग
लगते ढेरों रोग , शत्रु अगणित बन जाते
करते काम तमाम , मार अपने लटकाते
कहते रवि कविराय ,रखो शुभ जीवन ऐसा
कहे न मुख वाचाल , हाय पैसा हा पैसा
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

118 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
नेताजी सुभाषचंद्र बोस
नेताजी सुभाषचंद्र बोस
ऋचा पाठक पंत
चाहे किसी के साथ रहे तू , फिर भी मेरी याद आयेगी
चाहे किसी के साथ रहे तू , फिर भी मेरी याद आयेगी
gurudeenverma198
"मदहोश"
Dr. Kishan tandon kranti
23/102.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/102.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दो जिस्म एक जान
दो जिस्म एक जान
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सागर
सागर
नूरफातिमा खातून नूरी
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
शेखर सिंह
#लानत_के_साथ...
#लानत_के_साथ...
*Author प्रणय प्रभात*
एक बालक की अभिलाषा
एक बालक की अभिलाषा
Shyam Sundar Subramanian
धन की खाई कमाई से भर जाएगी। वैचारिक कमी तो शिक्षा भी नहीं भर
धन की खाई कमाई से भर जाएगी। वैचारिक कमी तो शिक्षा भी नहीं भर
Sanjay ' शून्य'
बीतल बरस।
बीतल बरस।
Acharya Rama Nand Mandal
"विचित्रे खलु संसारे नास्ति किञ्चिन्निरर्थकम् ।
Mukul Koushik
Quote...
Quote...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
Shweta Soni
दोहे... चापलूस
दोहे... चापलूस
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
तन्हा -तन्हा
तन्हा -तन्हा
Surinder blackpen
मोबाइल भक्ति
मोबाइल भक्ति
Satish Srijan
गांव की सैर
गांव की सैर
जगदीश लववंशी
अद्य हिन्दी को भला एक याम का ही मानकर क्यों?
अद्य हिन्दी को भला एक याम का ही मानकर क्यों?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
अपनी सीरत को
अपनी सीरत को
Dr fauzia Naseem shad
"आभास " हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हे कलम
हे कलम
Kavita Chouhan
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
SATPAL CHAUHAN
अनपढ़ दिखे समाज, बोलिए क्या स्वतंत्र हम
अनपढ़ दिखे समाज, बोलिए क्या स्वतंत्र हम
Pt. Brajesh Kumar Nayak
National Cancer Day
National Cancer Day
Tushar Jagawat
झूठ बोलते हैं वो,जो कहते हैं,
झूठ बोलते हैं वो,जो कहते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
सुमति
सुमति
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*हार में भी होंठ पर, मुस्कान रहना चाहिए 【मुक्तक】*
*हार में भी होंठ पर, मुस्कान रहना चाहिए 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
“ भयावह व्हाट्सप्प ”
“ भयावह व्हाट्सप्प ”
DrLakshman Jha Parimal
Loading...