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6 Feb 2020 · 1 min read

हायकु

स्वप्न सुन्दरी
छलावा यौवन का
नयन सुखी

समय गति
जीवन बुलबुला
आदि या यति

सबका दुख
मिले न सुख कहीं
दुख में सुख

अतृप्त मन
विदेशी परिवेश
उचाट स्वप्न

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव”,प्रेम”

Language: Hindi
223 Views
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Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
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