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14 Mar 2023 · 1 min read

*हाथ में पिचकारियाँ हों, रंग और गुलाल हो (मुक्तक)*

हाथ में पिचकारियाँ हों, रंग और गुलाल हो (मुक्तक)
■■■■■■■■■■■■■■■■■
हर तरफ मस्ती भरा, हर वृद्ध हो हर बाल हो
रंग से पीला-गुलाबी, हर स्वजन का गाल हो
रह न जाए कोई भी, माधुर्य के मधु – भाव से
हाथ में पिचकारियाँ हों, रंग और गुलाल हो
—————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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