Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2021 · 2 min read

हाई स्कूल था मेरा गंगा किनारे !

हाई स्कूल था मेरा गंगा किनारे !
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

हाई स्कूल था मेरा गंगा किनारे !
जाता था दोस्तों संग उसमें नहाने !
सप्ताह में एक दिन रुख करता था ,
कर के कुछ ना कुछ ठोस बहाने !!

सुबह – सुबह ही निकल पड़ता था ।
यूॅं ही मौज मस्ती करता रहता था ।
दियारा क्षेत्र से होकर गुजरते थे रास्ते ,
सब मिल रेत पर भी दौड़ लगाता था।।

ना होती थी कोई भी चिंता फ़िकर ।
बस होती थी दिन के भोजन की फ़िकर।
छात्रावास में ही रहकर जो पढ़ता था ।
पता चलने पर अधीक्षक जाते थे बिफर।।

एक दिन तो बात हो गई कुछ अलग !
सभी दोस्त आपस में ही गए उलझ !
बात-बात में ही मामला बिगड़ गया था ,
बीच-बचाव के बाद मामला गया सुलझ !!

फिर सब मिलकर यह कसमें खाई !
कि कभी भी नहीं लड़ेंगे हम आपस में !
जो कुछ मनमुटाव होगा किसी बात पर ,
तो मिल बैठकर सुलझा लेंगे आपस में !!

फिर सभी दोस्त मिल-जुलकर रहने लगे !
सभी एक-दूसरे की भी चिंता करने लगे !
बस, पढ़ाई पर ध्यान संकेंद्रित करने लगे !
बस,देश-दुनिया की ही बातों में रमने लगे !!

दसवीं कक्षा तक ही हम सभी साथ रहे !
उसके बाद सब अपने अपने रास्ते चले !
आज सभी अलग-अलग क्षेत्रों में जमे हैं ,
फोन पर बातें जो होती तो सब कहते हैं !!

गंगा किनारे की घटना को याद करते हैं !
थोड़ा सा हॅंसते और कभी उसमें खो जाते हैं !
ऐसी घटनाऍं तो ज़िंदगी में कभी-कभी आते हैं,
जिसमें कभी खोकर आगे के सपने हम सजाते हैं !!

स्वरचित एवं मौलिक ।

अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 17-06-2021.
“”””””””””””””””””””””””””””
????????

Language: Hindi
12 Likes · 7 Comments · 928 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
4609.*पूर्णिका*
4609.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरा लोकतंत्र महान -समसामयिक लेख
मेरा लोकतंत्र महान -समसामयिक लेख
Dr Mukesh 'Aseemit'
जिन्दगी तेरे लिये
जिन्दगी तेरे लिये
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
#सामयिक_व्यंग्य...
#सामयिक_व्यंग्य...
*प्रणय*
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
Anand Kumar
खुश रहें मुस्कुराते रहें
खुश रहें मुस्कुराते रहें
PRADYUMNA AROTHIYA
शिक्षक है  जो  ज्ञान -दीप  से  तम  को  दूर  करे
शिक्षक है जो ज्ञान -दीप से तम को दूर करे
Anil Mishra Prahari
****शिव शंकर****
****शिव शंकर****
Kavita Chouhan
आओ थोड़ा जी लेते हैं
आओ थोड़ा जी लेते हैं
Dr. Pradeep Kumar Sharma
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*कुछ शेष है अब भी*
*कुछ शेष है अब भी*
अमित मिश्र
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Raju Gajbhiye
🥀*अज्ञानीकी कलम*🥀
🥀*अज्ञानीकी कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
माया का संसार है,
माया का संसार है,
sushil sarna
श्री राम के आदर्श
श्री राम के आदर्श
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जब तुम खामोश रहती हो....
जब तुम खामोश रहती हो....
सुरेश ठकरेले "हीरा तनुज"
श्री राधा मोहन चतुर्वेदी
श्री राधा मोहन चतुर्वेदी
Ravi Prakash
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
Mahima shukla
गए थे दिल हल्का करने,
गए थे दिल हल्का करने,
ओसमणी साहू 'ओश'
ତାଙ୍କଠାରୁ ଅଧିକ
ତାଙ୍କଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
प्यार में पड़े किसी इंसान की दो प्रेमिकाएं होती हैं,
प्यार में पड़े किसी इंसान की दो प्रेमिकाएं होती हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
अरशद रसूल बदायूंनी
बेटा बेटी है एक समान,
बेटा बेटी है एक समान,
Rituraj shivem verma
अधूरा प्रेम
अधूरा प्रेम
Mangilal 713
धैर्य और साहस...
धैर्य और साहस...
ओंकार मिश्र
"दान"
Dr. Kishan tandon kranti
শিবের গান
শিবের গান
Arghyadeep Chakraborty
We are sky birds
We are sky birds
VINOD CHAUHAN
नवयुग का भारत
नवयुग का भारत
AMRESH KUMAR VERMA
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
कवि रमेशराज
Loading...