हाइकु
रक्षाबंधन/भैया दूज
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(1)भाल तिलक
भगिनी अनुराग
है सुखदाई।
(2)स्नेह बंधन
भाई बहन का ये
उल्लास भरा।
(3)तिलक भाल
हस्त सूत्र बाँधती
माँगे वचन।
(4)दूज का पर्व
भगिनी मुसकाई
ले उपहार।
(5)उदास मन
सूना घर आँगन
भैया विदेश।
(6)भ्राता-भगिनी
मिलजुल मनाते
रक्षा बंधन।
(7)याद दिलाता
यम -यमुना प्रेम
दूज त्योहार।
(8)विघ्नों से रक्षा
कुमकुम तिलक
लेती बलैयाँ।
(9)चाँद सा भैया
सदा सुख से रहे
यही कामना।
(10)लेकर आई
सावन की पूर्णिमा
रक्षा बंधन।
(11)सजे बाज़ार
राखियों की बहार
प्यार ही प्यार।
(12)प्यारा सा लूमा
मन का नेह गुँथा
भाभी को बाँधा।
(13)सूनी न रहे
भैया की कलाई
बहना कहे।
(14)बहना बाँधे
अरमानों की राखी
भाई कलाई।
(15)रक्षाकवच
रेशम की डोरियाँब
बहना लाई।
(16(नेह बंधन
बना रहे सदा ही
एक-दूजे का।
(17)भाई का प्यार
बहन का संसार
राखी त्योहार।
(18)बहन बिना
भाए नहीं त्योहार
अटूट प्यार।
(19) राखी में बँधा
भाई-बहन का ये
रक्षा करार।
(20)रक्षाबंधन
प्रीत लेकर आया
झूमे बहन।
“जन्माष्टमी”
(1)अष्टमी रात
घनघोर तूफान
श्री कृष्ण जन्म।
(2)भविष्य वाणी
कंस का संहारक
धरा पे जन्मा।
(3)कारागार में
कृष्ण ने जन्म लिया
टूटी बेड़ियाँ ।
(4) यमुना चढ़ी
कृष्ण पग छूने को
प्रभु मुस्काए।
(5)मातु यशोदा
पालने में झुलाएँ
मंगल गाएँ।
(6)कदंब चढ़े
कान्हा गागर फोड़ें
गोपी झल्लाएँ ।
(7)यमुना तीरे
वसन चुरा भागे
छलिया कृष्णा।
(8)कदंब तले
कान्हा झूला झुलाएँ
निष्काम प्रेम।
(9)बाट जोहती
यमुना तीरे राधा
हुई अधीर।
(10)इंद्र प्रकोप
गोवर्धन पर्वत
कृष्ण उठाते।
(11)छींके लटकी
माखन की मटकी
कान्हा उतारें।
(12)दंड दे कान्हा
यशोदा अकुलाएँ
उर लगाएँ।
(13)यमुना तीरे
संग है राधा गोरी
चंद्र चकोरी।
(14)श्री जन्मोत्सव
गोकुल की नगरी
धूम मची है।
(15)कदंब तले
राधा आत्म विभोर
बाँसुरी सुने।
डॉ. रजनी अग्रवाल”वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी।(उ.प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर