Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2018 · 1 min read

हाइकु

हाइकु
——-

रहा जुनून
प्रभु से मिल कर
मिला शुकून

चाँद चमका
रजनी का चेहरा
निखर उठा

कुसुम खिला
माटी और नभ का
प्रणय मिला ।

सावन सूना
प्रिय राह तकतीं
सूजी अखियाँ ।

गरजे मेघा
महक उठी माटी
हर्षित धरा ।

कली अधर
मुहर लगा कर
मस्त भ्रमर ।

□ प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
साँकरा, जिला – रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
मो.नं. 7828104111

Language: Hindi
382 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वर्तमान समय में रिश्तों की स्थिति पर एक टिप्पणी है। कवि कहता
वर्तमान समय में रिश्तों की स्थिति पर एक टिप्पणी है। कवि कहता
पूर्वार्थ
प्रेम की नाव
प्रेम की नाव
Dr.Priya Soni Khare
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
Udaya Narayan Singh
माँ मेरी जादूगर थी,
माँ मेरी जादूगर थी,
Shweta Soni
World Dance Day
World Dance Day
Tushar Jagawat
"गलतफहमियाँ"
जगदीश शर्मा सहज
भिनसार हो गया
भिनसार हो गया
Satish Srijan
"अगर हो वक़्त अच्छा तो सभी अपने हुआ करते
आर.एस. 'प्रीतम'
असर
असर
Shyam Sundar Subramanian
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
Bindesh kumar jha
ज्ञानमय
ज्ञानमय
Pt. Brajesh Kumar Nayak
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
अंसार एटवी
'चाह' लेना ही काफ़ी नहीं है चाहत पूरी करने को,
'चाह' लेना ही काफ़ी नहीं है चाहत पूरी करने को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अनुरक्ति की बूँदें
अनुरक्ति की बूँदें
singh kunwar sarvendra vikram
यही बात समझने में आधी जिंदगी बीत गई
यही बात समझने में आधी जिंदगी बीत गई
Ashwini sharma
*काल क्रिया*
*काल क्रिया*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नंबर पुराना चल रहा है नई ग़ज़ल Vinit Singh Shayar
नंबर पुराना चल रहा है नई ग़ज़ल Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
जल बचाओ , ना बहाओ
जल बचाओ , ना बहाओ
Buddha Prakash
क्यों इन्द्रदेव?
क्यों इन्द्रदेव?
Shaily
मां महागौरी
मां महागौरी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
4417.*पूर्णिका*
4417.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"दो वक़्त की रोटी"
Ajit Kumar "Karn"
"जख्म"
Dr. Kishan tandon kranti
जब कोई महिला किसी के सामने पूर्णतया नग्न हो जाए तो समझिए वह
जब कोई महिला किसी के सामने पूर्णतया नग्न हो जाए तो समझिए वह
Rj Anand Prajapati
నేటి ప్రపంచం
నేటి ప్రపంచం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मुहब्बत है ज़ियादा पर अना भी यार थोड़ी है
मुहब्बत है ज़ियादा पर अना भी यार थोड़ी है
Anis Shah
जटिलताओं के आगे झुकना
जटिलताओं के आगे झुकना
VINOD CHAUHAN
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अंततः कब तक ?
अंततः कब तक ?
Dr. Upasana Pandey
Loading...