हाइकु
मनीभाई के हाइकु….
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆◆
स्वर्ण बिछौना
बिछाये धरा पर
रवि की रश्मि।
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆
आ चढ़ा जाये
अस्तित्व की हाजिरी
अल्प जीवन ।
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆
जन विस्फोट
अस्तित्व को खतरा
होगी तबाही ।
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆◆
शेष रहेंगे
प्लास्टिक की थैलियाँ
सृष्टि अंत में ।
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆◆
गुरू की दिशा
अमृत समतुल्य
पानी दे सदा।
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆
किस दौड़ में ?
घिसते कलपुर्जे
मानव यंत्र।
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆◆
जीवन चक्र
बिस्तर से बिस्तर
क्यूँ तुझे डर ?
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆◆
हो जा बेफिक्र
जलती दुनिया में
हो तेरा जिक्र ?
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆◆
नीचा दिखाये
तरस खा उनपे
तू ऊपर है।
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆◆
मृत्यु भोज है
दावत का पर्याय
क्या यह न्याय?
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆◆
दिल जज्बाती
पिघलता मोम सा
ना दीया बाती
◆◆◆◆●●●●●●◆◆◆◆
मनीभाई”नवरत्न”