हाइकु – डी के निवातिया
बसंत हाइकु
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कोयल गायें,
सरसों लहलायें
बसंत आये !!
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सरसों छाये,
ओढ़े पीली चादर,
खेत मुस्काये !!
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बागों में शोर
लदने लगे जब,
आमों पे बौर !!
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नई डालियाँ,
बसंत ने खिलाई
नई कलियाँ !!
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बसंत कवी,
मीठी धूप सृजन
कराये रवि !!
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स्वरचित : डी के निवातिया