हाँ मैं भँवरा हूँ
हाँ मैं भँवरा हूँ
फूल फूल कली कली
मँडराता हूँ
उन्हें प्यार के
गीत सुनाता हूँ
गुन गुन गुन गुन
मैं मधुर धुन
में गाता हूँ
कलियाँ मुस्कराती हैं
फूल हँसने लगते हैं
जब मैं धुन में गाता हूँ
फूलो से रस पीकर
उनका पराग बिखराता हूँ
इस प्रकार मैं
उनकी संतति में
अपना योगदान निभाता हूँ
फूलों से है प्यार मुझे
कलियाँ मेरी दोस्त हैं
तितलियाँ मेरी बहिने हैं
वे मेरा हाथ बटाती हैं
वे भी पराग को लेकर
फूल फूल पहुँचाती हैं
हूँ कठोर
मैं कड़े काठ को भी
काट गुज़र जाता हूँ
पर जब कभी बंद
फूलों में हो जाता
उनके आलिंगन में ही
पूरी रात बिताता हूँ
उनके कोमल आलिंगन में
मदमस्त मैं सो जाता हूँ
सुबह जब फूल खिलते हैं
तभी निकल मैं आता हूँ
अपनी तमाम कठोरता
मैं नाज़ुक फूलों पर
नहीं आजमाता हूँ
मैं हूँ मन का उजला
यद्द्य्पी तन से काला हूँ
पर तुम ये सच मानो
मैँ बड़ा दिलवाला हूँ
यदि मुझसे प्यार निभाओगे
तो मैं भी प्यार निभाऊँगा
पर यदि मुझे सताओगे
मैं तुम्हे काट खाऊंगा
हाँ मैं भँवरा हूँ
गुन गुन गुन गुन गाता हूँ
और सारी दुनिया को
प्यार का राग सुनाता हूँ
(समाप्त )